फैला के फसाद क्या तुम इंसानियत की मिसाल दोगे ज़रा डालो तो नज़र उसकी सीरत पे फिर ना तुम खुद की सूरत पे जमाल दोगे
महज़ नाम ज़ैनब रखने से कोई ज़ैनब नहीं हो जाता
कोशिश है मेरी काम ऐसा कोई करके उसके नाम को बदनाम ना करूं।
महज़ नाम ज़ैनब रखने से कोई ज़ैनब नहीं हो जाता
कोशिश है मेरी काम ऐसा कोई करके उसके नाम को बदनाम ना करूं।
बदल कर नाम बर्रा जिसका नबी ने ज़ैनब है रखा
बड़ा फख्र था इस बात पर
के हुआ था निकाह उनका आसमान पे था
खौफ - ए - खुदा था दिल में और सच्चाई थी जिसकी सीरत,
बड़ी खूबसूरत भी थी और वो औरत।
मेहनत करके वो करती थी सदका
मकसद जिसका हसिल करना था कुर्ब खुदा का।
नहीं देखी ज़ैनब सी सीरत इंसानियत और सखावत की
आयशा (r.a) ने खुद ये बात कही थी।
करते थे खातिर मेरे नबी और ख्याल जिसकी सिफात का,
हमदर्द गुज़री है हमारी मदीने के गरीबों में हलचल मची थी,
कफ़न तैयार किया था जिसने ज़िन्दगी में ही उसकी
कैसे भूल जाऊ वो मकान जिसका
तब्दील हुए मदीने की मस्जिद - ए- नबवी में आज भी मौजूद है।
WRITTEN BY_
ZENAB KHAN
Very nice 👌
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