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SHAYARI LOVE

Tuesday, June 2, 2020

हज़रत ज़ैनब

फैला के फसाद क्या तुम इंसानियत की मिसाल दोगे ज़रा डालो तो नज़र उसकी सीरत पे फिर ना तुम खुद की सूरत पे जमाल दोगे
महज़ नाम ज़ैनब रखने से कोई ज़ैनब नहीं हो जाता
कोशिश है मेरी काम ऐसा कोई करके उसके नाम को बदनाम ना करूं।
बदल कर नाम बर्रा जिसका नबी ने ज़ैनब है रखा
बड़ा फख्र था इस बात पर
के हुआ था निकाह उनका आसमान पे था
खौफ - ए - खुदा था दिल में और सच्चाई थी जिसकी सीरत,
बड़ी खूबसूरत भी थी और वो औरत।
मेहनत करके वो करती थी सदका 
मकसद जिसका हसिल करना था कुर्ब खुदा का।
नहीं देखी ज़ैनब सी सीरत इंसानियत और सखावत की
आयशा (r.a) ने खुद ये बात कही थी।
करते थे खातिर मेरे नबी और ख्याल जिसकी सिफात का,
हमदर्द गुज़री है हमारी मदीने के गरीबों में हलचल मची थी,
कफ़न तैयार किया था जिसने ज़िन्दगी में ही उसकी
कैसे भूल जाऊ वो मकान जिसका
तब्दील हुए मदीने की मस्जिद - ए- नबवी में आज भी मौजूद है।
                         WRITTEN BY_
                                        ZENAB KHAN

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