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SHAYARI LOVE

Friday, April 24, 2020

रमज़ान मुबारक


रमज़ान मुबारक

माह - ए - बरकत का ये रमज़ान आया है
कर लो हो सके इबादतें जितनी
के नेकिया बेहिसाब है नियत करो उतनी
के हम रोज़ा रखे और सजदे करे
निफ्ले पड़े और तिलावत - ए - क़ुरान करे
अदा करें तहज्जुद भी और ऐतेकाफ करे
सुन्ननत कर के पूरी फिर तस्बीहात करे
के ये महीना है बरकत का
आज रमज़ान आया है।



खुले है दरवाज़े तौबा के अब भी
रो रो कर मांगे और माफी तलब करे
देख के चांद को खुश हुआ हम करे
आए ईद नसीब लेकर दुआ हम करे
मांगे रब से जो भी हो हसरत हमारी
हर तरफ हो खुशियां ये दुआ हो हमारी
नफसो की सलामती की दुआ हम करे
महफूज़ हो जिल्लत और गुरबत से ये कोम हमारी


गुमराही से बच जाए ये उम्मत - ए - नबी
अदा बाकी फ़र्ज़ सारे खुश होकर करे
जब भी चले हमारे कदम सुन्नत पे चले
बन जाए हर काम भी इबादत हमारी
हर सांस में हो कलमा ये आदत हो हमारी
कोशिश ये रहे के दिल ना दुखे
हो चाहे वो दुश्मन खुदा उसे बख्शिश आता है करे
बेहिसाब देता है वो गनी है आका मेरा
क्यूं ना मांगू जब देता है बेपनाह
हुकुको की पैरवी करना फ़र्ज़ है मेरा
तलब हम जन्नत की यूं तो करे

डर से क्यूं जहन्नुम के हम इबादत मोहब्ब्त से करे
कबीरा है कुछ सगीरा गुनाह हमारे
मगर करता है मोहब्ब्त सत्तर मां से ज़्यादा क्यूं भूले
कैसे भूले हम शान - ए -  इलाही की
कर देगा माफ हम यकीन तो करे
पढ़ेंगे दुरुद भी हम नबी पर हमारे
जिस जैसी शख्सियत ना थी ना होगी कभी
सलाम उनको हो हर लफ्ज़ हमारे
बख्शे थे वो मगर करते थे दुआ - ए - उम्मत के लिए भी यूं
मत देना खुदा उम्मत को तकलीफ़ वो नादान है थोड़ी
नासमझी में करेंगे वो गलतियां बेपनाह
माफ करना मगर उम्मत को हर दफा मेरी

पढ़े जो क़ुरान उस नेकी को करना बड़ी
रोज़े रखने की हिम्मत ए खुदा देना सभी को
जो लगे प्यास हम याद तुझे ही करे
भुके रेह कर हम तिलावत तेरी करे
खुश्क होठों को गीला हम वज़ू से करे
नींद में भी हम याद नमाज़ ही करे
इफ्तार में बरकत हो हमारे
हम सेहरी करे फिर तहज़्जुद भी पढ़े
सलातुल तस्बीह की अदाएगी हर रोज़ करे
ना उठे सजदो से इस क़दर डूब जाए
जब भी उठे यकीन तेरी रजा का हो जाए
फ़रिश्ते हमें याद वक़्त इफ्तार का दिलाए
नैक हो जाए हम भी ए खुदा क़ुबूल कर ले
के चेहरे चमके नूर से इस क़दर रोशन हो जाए।
                                 WRITTEN BY_
                                            ZENAB KHAN

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