हाल - ए - दिल
सन्नाटा है दिल में मेरे ये क्यूं लोग कहते है
एक वो है जो मेरे दिल का हर शोर सुनता है।
बड़ी फुरसत से बैठते हैं उसे याद करने
डर लगता है अकेले यूं बेवजह मुस्कुराने से।
क्या बताएं हाल - ए - दिल कैसा है उनसे दूर रह कर
एहसास होता है के आजकल वक़्त में इज़ाफ़ा सा हो गया है ।
महज़ दूरी इतनी सी है फिर भी शिकायत है हमें
आंख बंद करुं और उनका चेहरा नज़र आ जाता है।
रोकने की शर्त भी अजीब रही मेरी उनसे
के करीब रहना है तो फासला रखना पड़ेगा।
कितने दिन हुए मुझे रूठे हुए तुमसे
नाराज़ होना है पहले मनाने का वादा करो।
कह दे दुनिया से के इतना सताया ना करे तेरी मोहब्ब्त को
क्या खबर नहीं इनको के तू साथ है मेरे बस पास नहीं।
बड़ी थकन सी है आज रूह में मेरी
खेरियत से तो हैना तू या मेरा दिल यूं ही घबरा रहा है।
के फिर भूल गई बाते जो तुझे बतानी थी
चल आज फिर इशारों में बाते करते हैं।
लिखने में कोताही करती है क़लम आजकल मेरी तुमसे
के डरती है ये भी जज़बाती ना हो जाए के अभी और दूर रहना है।
WRITTEN BY_
ZENAB KHAN
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