ना मिलो
मौजूदा वक़्त की साज़िश तो देखो
हक के बजाए अब शक से मिलो।
कुदरत ने अपनी चाल क्या खूब खेली
ना गरीब से मिलो ना मरीज़ से मिलो।
हवा के भी कर्जदार हो गए आज
रुमाल बांध कर मिलो अगर बाहर मिलो।
इबादत घरों में पाबंदी हो गई आज खुदा को भूल जाने से
गुज़ारिश है अब मिलो तो दुआओ में मिलो।
सुन्नते आज फ़र्ज़ कर दी हुक़ूमत ने
वक़्त बचा है अब भी ज़रा सजदो में मिलो।
Written by
Zenab khan
Behad khoobsoorat likha hai zenab....
ReplyDeleteUrdu kafi acchi use ki hai
Allah apko hifazat farmaye
Thank u soo much 😊
Delete