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SHAYARI LOVE

Saturday, March 28, 2020

ना मिलो


ना मिलो

मौजूदा वक़्त की साज़िश तो देखो
हक के बजाए अब शक से मिलो।

कुदरत ने अपनी चाल क्या खूब खेली
ना गरीब से मिलो ना मरीज़ से मिलो।

हवा के भी कर्जदार हो गए आज
रुमाल बांध कर मिलो अगर बाहर मिलो।

इबादत घरों में पाबंदी हो गई आज खुदा को भूल जाने से
गुज़ारिश है अब मिलो तो दुआओ में मिलो।

सुन्नते आज फ़र्ज़ कर दी हुक़ूमत ने
वक़्त बचा है अब भी ज़रा सजदो में मिलो।
                                  Written by
                                        Zenab khan

2 comments:

  1. Behad khoobsoorat likha hai zenab....
    Urdu kafi acchi use ki hai
    Allah apko hifazat farmaye

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