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SHAYARI LOVE

Thursday, March 19, 2020

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

चाहते मैं वार दू
किसी की जिंदगी संवार दू
कोई कहे तो मुझे अपना
उसकी ज़िन्दगी संवार दू।

आसान राहों से गुजरने का मज़ा ही क्या है
मुश्किलों से लड़ना अब आदत बन गया
आदत की कहां कोई बीमारी जो इलाज दू
तूफानों से लड़ के मैं कश्तियां निकाल दू।

पूछो तो पूछो मुझसे सवाल कई पूछो
पूछ लेना कर्ज़ मेरा मर्ज़ ना पूछो
खुशी से अपनी फिर मैं हार करार दू
नहीं मगर तुझे खुद पे कोई सवाल दू।

महफिलों के किस्से मैं बता दू
मेरी तनहाई की बात ना छेड़ो
बातें मैं ऐसी कमाल दू
तुम्हारे चेहरे संवार दू।

कामयाबी का राज़ ना पूछो
मेरे अपनों के मैं राज़ ना खोलूं
मुश्किलें मैं बता के अपनी
आगे बढ़ने की सलाह दू।

नसीब की बुलंदी का आलम ये रहा
सरपरस्ती की सलामती और दुआं क्या कहूं
बेफिक्री का राज़ यही है बस
वरना खुद को कमाल कैसे मैं करार दू।

शुक्र करूं तो कैसे कोई वाज़ीफा बता दो
खुश है मां मेरी मुझसे कैसे ना जवाब दू
मेरा खुदा राज़ी होगा मुझसे ये निशानी है मुझ पे
मेरा मज़हब इस्लाम है इसे कैसे ना जमाल दूं।
                              WRITTEN BY_
                                             ZENAB KHANAM

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