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SHAYARI LOVE

Friday, February 7, 2020

ज़िन्दगी बता जा

ज़िन्दगी बता जा


कैसे रहता है बिना मेरे
आज तन्हाई का हुनर बता जा।

कैसे पहुंचा है इतनी बुलंदी पर
कुछ मुझे भी ऐसे नख़्श बता जा।

किस पे करूं ऐतमाद रूह से
मुझे कोई ऐसा अक्स बता जा।

दो चेहरे लिए फिरते है छोटी सी ज़िंदगी में
कौनसा है झूठा और सच बता जा।

कामयाबि का दावा नहीं मेरा हरगिज़
मगर साथ चले जो हरदम मेरे वो कदम बता जा।

ज़ंजीरों से बंधी है सोच अब तक
कैसे खोलू तू मुझे कोई राज़ (चाबी) बता जा।

हारना भी पहलू है ज़िन्दगी का
जीते हो दोनों जिसमें वो खेल बता जा।

डुबाया है समंदर ने कश्तियों को इससे वाक़िफ हूं
 पहुंची हो किनारे तक वो हस्ती बता जा।

तुझे ही माना है रुतबा अपना
ले आज फिर मुझे अपना औधा बता जा।
                        WRITTEN BY_
                                            ZENAB KHAN

Aesi Behetrin Shayari, Stories and Poetries padhne ke liye jude rahe hamare sath

Apki Shayara - Zenab Khan

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