क्यूं ना मांगू
वो देता है बेपनाह
मैं उससे थोड़ा क्यूं मांगू।
बुलंदी - ए - नसीब की दुआ करते हैं सब
क्यूं ना फिर में तुझे ही मांगू।
कामयाबी मांगू खुशियां मांगू
देता है वो तो हर चीज़
उसके बंदो को
क्यूं ना फिर तेरे साथ मांगू।
कितना और कब तक
शुक्र करूं कम है
उसने तुझे दिया है
किसी से शिकायत कैसी मांगू।
देता है हर रोज़ नई उम्मीद मुझे वो
तो कभी कभी क्यूं मांगू।
तुझसे मुलाक़ात की तलब है हां,
एक बार नहीं ज़िन्दगी भर की मांगू।
दुनिया के महलों में होगी खूबसूरती
मैं उसकी आंखों में मोहब्बत की कशिश मांगू।
क्या मतलब मुझे इन मक़बरों से
उसी में बस अपना आशियाना मांगू।
हसरतें ये मांगने की कभी ख़त्म ना होगी
देता है वो उसके पास कमी नहीं होगी
तो यूं भी मांगू जब भी मांगू
बस ज़िन्दगी भर तेरा साथ मांगू।
WRITTEN BY_
ZENAB KHAN
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