इस शब
कितना अच्छा होता जो तुम भी साथ होते
इस रात में इबादत और खास हो जाती।
हलवे बनाते हम और तुम साथ देते
तुम चाशनी बनाते हम मिठास घोल देते।
मुसल्ला बिछाती मैं और तुम हाज़िर होते
तुम वज़ू करते हम पानी देते।
हम क़ुरान पढ़ते तुम तफसीर सुनाते
फ़रिश्ते भी सुनते और अमीन कहते।
मिलके देख भाल करते सब सामानों की
मैं पोधे लगाती तुम पानी डाल देते।
रात में जाग कर सेहरी मैं बनाती
साथ इफ्तार की तैयारी करते मिलके दुआ करते।
साथ रहे हम और मोहब्बत हमारी हमेशा
तुम दुआ करते और हम हर दुआ में अमीन करते।
Written by
Zenab khanan
कितना अच्छा होता जो तुम भी साथ होते
इस रात में इबादत और खास हो जाती।
हलवे बनाते हम और तुम साथ देते
तुम चाशनी बनाते हम मिठास घोल देते।
मुसल्ला बिछाती मैं और तुम हाज़िर होते
तुम वज़ू करते हम पानी देते।
हम क़ुरान पढ़ते तुम तफसीर सुनाते
फ़रिश्ते भी सुनते और अमीन कहते।
मिलके देख भाल करते सब सामानों की
मैं पोधे लगाती तुम पानी डाल देते।
रात में जाग कर सेहरी मैं बनाती
साथ इफ्तार की तैयारी करते मिलके दुआ करते।
साथ रहे हम और मोहब्बत हमारी हमेशा
तुम दुआ करते और हम हर दुआ में अमीन करते।
Written by
Zenab khanan
No comments:
Post a Comment