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SHAYARI LOVE

Wednesday, February 12, 2020

सिर्फ तुम


       सिर्फ तुम

आती है जो शाम - ओ- सेहर
वो याद हो तुम
कैसे करूं मैं लफ्ज़ बयां
मेरी ख़ामोशी के अल्फ़ाज़ हो तुम।

मिलके भी ना बुझ सके
वो प्यास हो तुम
भूल बैठे हैं खुद को
ऐसी मुलाक़ात हो तुम

तुझे सोचना भी फकत
मुस्कुराहट है अब तो
कैसे कह दू किसी के पूछने पे
मेरे दिल का इकलौता राज़ हो तुम।

दूरियों में फिलहाल तो
कुछ मजबूरिया लाज़मी है मगर
हवा के साथ महसूस हो
वो एहसाह हो तुम

पाबंदियां है यहां
हर क़दम पे मेरी
तुझे खुश रखूं ये वादा है मेरा
इसीलिए मेरी मोहब्बत में आज़ाद हो तुम।

मेरी कामयाबी तो अधूरी है
बेशक अभी
मगर फिर भी ना जाने क्यूं
मेरी ज़िन्दगी का फख्र - ओ - नाज़ हो तुम।

आई कितनी ही मुश्किलें
कई उलझी यादें
मगर मेरा पहला और
आखिरी प्यार हो तुम।
                           WRITTEN BY_
                                                     ZENAB KHAN


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